न्याय दर्शन का श्रेय महर्षि गौतम को दिया जाता है, जिन्हें गौतम न्याय के नाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय दर्शन के छह आस्तिक दर्शनों में से एक है और मुख्य रूप से तर्कशास्त्र व ज्ञानमीमांसा पर केंद्रित है। न्याय दर्शन ज्ञान और सत्य की स्थापना के लिए तर्क, विवेचना और प्रमाण प्रणाली प्रदान करता है। इसे न्याय सूत्रों से जोड़ा जाता है, जो महर्षि गौतम द्वारा रचित एक मूलग्रंथ है और न्याय दर्शन के सिद्धांतों को स्पष्ट करता है।
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