साइनोबैक्टीरिया, जिसे नीला-हरा शैवाल भी कहते हैं, एकल-कोशिकीय होते हैं और प्रोकैरियोट्स के समूह में आते हैं। इसका अर्थ है कि इनमें सुव्यवस्थित कोशिका नाभिक नहीं होता। साइनोबैक्टीरिया की ऑक्सीजनिक प्रकाशसंश्लेषण करने की क्षमता ने प्रारंभिक अवनायक वातावरण को ऑक्सीकारक वातावरण में बदल दिया, जिससे पृथ्वी पर जीवन के रूप में बड़ा परिवर्तन हुआ। इससे जैव विविधता को बढ़ावा मिला और ऑक्सीजन-असहिष्णु जीव लगभग विलुप्त हो गए।
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