शाहू के शासनकाल में चितपावन ब्राह्मण मंत्रियों की एक परंपरा उभरी, जिन्हें पेशवा की उपाधि मिली। 'पेशवा' शब्द संभवतः फ़ारसी से आया है, जिसका अर्थ है 'प्रधान'। सोनोपंत दबीर को पहला अनौपचारिक पेशवा माना जाता है।
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