बृहदारण्यक उपनिषद सबसे पुरानी उपनिषदों में से एक है और इसका रचनाकाल लगभग 700 ईसा पूर्व माना जाता है। यह गद्य में लिखी गई है और यजुर्वेद के शतपथ ब्राह्मण का हिस्सा है। इसे हिंदू धर्म में दार्शनिक सिद्धांतों, रूपकात्मक विचारों और रहस्यमय प्रतीकों का स्रोत माना जाता है।
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