स्वतंत्रता के तुरंत बाद पाकिस्तान से आए सशस्त्र लोगों के एक बड़े समूह ने कश्मीर पर हमला किया और श्रीनगर पर कब्जा करने के करीब पहुंच गए। कश्मीर के पाकिस्तान के हाथों में जाने की आशंका के बीच महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। तुरंत ही पटेल के सहयोगी वी पी मेनन श्रीनगर पहुंचे और महाराजा से कहा कि भारत तभी कार्रवाई कर सकता है जब कश्मीर भारत में विलय के लिए सहमत हो। माना जाता है कि महाराजा स्वतंत्र रहना चाहते थे लेकिन पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा उत्पन्न गंभीर स्थिति के कारण उन्होंने अनिच्छा से भारत में विलय स्वीकार कर लिया। इस प्रकार 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
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