1879 की संधि 26 मई को गंडामक में हस्ताक्षरित हुई। इस संधि के अनुसार अफगानिस्तान को इंग्लैंड पर निर्भर राज्य बना दिया गया और उसने स्वतंत्र विदेश नीति संचालित करने का अधिकार खो दिया। इसके परिणामस्वरूप काबुल में ब्रिटिश प्रतिनिधि को देश के आंतरिक मामलों पर नियंत्रण मिल गया। सिबी, कुर्रम और पिशिन क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन आ गए। इस संधि के निष्कर्ष से अफगानिस्तान में असंतोष फैल गया। जनता के विरोध और साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष ने इंग्लैंड को अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों से नियंत्रण हटाने और 1881 में कंधार से अपनी सेना वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया, जिसे उन्होंने जनवरी 1879 में कब्जे में लिया था।
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