पांडुरंग शास्त्री आठवले
स्वाध्याय आंदोलन, जिसे स्वाध्याय परिवार के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं शताब्दी के मध्य में भारत के पश्चिमी राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में पांडुरंग शास्त्री आठवले द्वारा शुरू किया गया था। यह एक धार्मिक आंदोलन था, जो मुख्य रूप से आत्म-अध्ययन (स्वाध्याय), निःस्वार्थ भक्ति (भक्ति) और आध्यात्मिक, सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए हिंदू शास्त्रों के अनुप्रयोग पर केंद्रित था।
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