राम मोहन राय इंग्लैंड जाने वाले पहले शिक्षित भारतीय थे। उन्हें मुगल सम्राट अकबर द्वितीय का राजदूत बनाकर भेजा गया था। अकबर द्वितीय ने ही भारत के कल्याण के लिए ब्रिटिश सरकार के समक्ष पैरवी करने के उद्देश्य से उन्हें "राजा" की उपाधि दी थी।
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