हर्षवर्धन को चालुक्य राजा पुलकेशिन-II ने लगभग 615 ईस्वी में नर्मदा नदी के किनारे हराया था। यह पुलकेशिन की सबसे उल्लेखनीय सैन्य उपलब्धि थी। इसने नर्मदा नदी के दक्षिण से हर्ष का प्रभाव समाप्त कर दिया और इस नदी को उत्तरपथ और दक्षिणपथ के बीच सीमा के रूप में स्थापित किया।
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