भवभूति, 6वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि, को "किरातार्जुनीय" के लेखक के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस शीर्षक का अर्थ "अर्जुन और पर्वत पुरुष" है। यह महाकाव्य नैतिकता और धर्म के विषय पर केंद्रित है, जो महाभारत के एक शिक्षाप्रद प्रसंग को प्रस्तुत करता है। यह मानव मूल्यों और गुणों को उजागर करता है और प्राचीन भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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