1266 ईस्वी से 1286 ईस्वी तक शासन करने वाले बलबन के अनुसार सुल्तान को धरती पर ईश्वर की छाया माना जाता था जिसे ज़िल-ए-इलाही कहा जाता था और उसे दैवीय कृपा का प्राप्तकर्ता भी माना जाता था जिसे नायब-ए-खुदाई कहा जाता था।
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