टंगलिया शॉल गुजरात की पारंपरिक शिल्पकला है, जो विशेष रूप से डांग क्षेत्र से जुड़ी है। यह अपनी अनूठी बुनाई तकनीक के लिए जानी जाती है, जिसमें जटिल डिज़ाइन और जीवंत रंग शामिल होते हैं। ये शॉल पारंपरिक रूप से ऊन से बनाए जाते हैं और टिकाऊ व गर्म होते हैं। 2009 में मिली जीआई मान्यता ने इस पारंपरिक शिल्प को सुरक्षा प्रदान की और कारीगरों के कार्य को बढ़ावा दिया, जिससे गुजरात की सांस्कृतिक विरासत संरक्षित रह सके।
                    
                    
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