तमिल महाकाव्य जीवक चिंतामणि (जिसे सिवक चिंतामणि भी कहा जाता है) एक जैन धार्मिक महाकाव्य है जिसे जैन संत तिरुत्तक्रदेव ने लिखा था। यह महाकाव्य संगम साहित्य के क्लासिक महाकाव्यों में से एक माना जाता है। इस कविता का अर्थ "शानदार रत्न" है और इसे मनन्नुल (शादियों की पुस्तक) के रूप में भी जाना जाता है।
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