साल 1944 में सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर रेडियो पर संबोधन के दौरान गांधीजी के लिए यह शब्द प्रयोग किया था। हालांकि, भारत सरकार ने उन्हें आधिकारिक रूप से न तो "महात्मा" की उपाधि दी थी और न ही "राष्ट्रपिता" की। इस संबंध में कोई नियम या अधिनियम पारित नहीं हुआ और ऐसा किया भी नहीं जा सकता क्योंकि यह अनुच्छेद 18 के खिलाफ होगा। इसलिए गांधीजी को "राष्ट्रपिता" मानना केवल एक लोकप्रिय धारणा है।
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