पंजाब सरकार ने भूजल की कमी और पर्यावरणीय नुकसान से निपटने के लिए हाइब्रिड धान और पूसा-44 किस्म पर प्रतिबंध लगाया है। ये किस्में अधिक पानी लेती हैं और पकने में ज्यादा समय लेती हैं जिससे राज्य में जल संकट और गहरा जाता है। यह फैसला पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के शोध पर आधारित है। राज्य के 150 ब्लॉकों में से 114 में भूजल का अत्यधिक दोहन हो चुका है और केवल 17 ब्लॉक ही स्थिर स्थिति में हैं। हाइब्रिड धान में बैक्टीरियल ब्लाइट और स्मट जैसी बीमारियों का खतरा अधिक होता है जिससे उपज और आसपास की फसलें प्रभावित होती हैं। छोटे किसानों के लिए ये बीज महंगे होते हैं और इन्हें ज्यादा कीटनाशक व उर्वरक की जरूरत होती है। इन पौधों की ऊंचाई अधिक होती है जिससे पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती हैं और वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। यह प्रतिबंध पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 19 मई 2025 को कानूनी चुनौती का सामना कर रहा है। किसान और बीज कंपनियां इस फैसले का विरोध कर रही हैं क्योंकि बुआई का समय नजदीक है और स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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