Q. कर्नाटिक संगीत के रचनाकारों द्वारा किसी रचना में प्रयुक्त हस्ताक्षर को क्या कहा जाता है?
Answer: मुद्रा
Notes: कर्नाटिक संगीत के रचनाकार अक्सर धार्मिक भक्ति से प्रेरित होते थे और आमतौर पर कन्नड़, मलयालम, संस्कृत, तमिल या तेलुगु में निपुण विद्वान होते थे। वे अपनी रचनाओं में अक्सर एक विशिष्ट हस्ताक्षर, जिसे मुद्रा कहा जाता है, शामिल करते थे। उदाहरण के लिए, त्यागराज (जिन्होंने तेलुगु में रचनाएँ कीं) की सभी रचनाओं में 'त्यागराज' शब्द होता है। मुत्थुस्वामी दीक्षितर (जिन्होंने संस्कृत में रचनाएँ कीं) की सभी रचनाओं में 'गुरुगुह' शब्द होता है। श्याम शास्त्री (जिन्होंने तेलुगु में रचनाएँ कीं) की रचनाओं में 'श्याम कृष्ण' शब्द होता है। पुरंदरदास (जिन्होंने कन्नड़ में रचनाएँ कीं) की सभी रचनाओं में 'पुरंदर विट्ठल' शब्द होता है। गोपालकृष्ण भारती (जिन्होंने तमिल में रचनाएँ कीं) ने अपनी रचनाओं में 'गोपालकृष्णन' हस्ताक्षर के रूप में प्रयोग किया।

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