1679 ईस्वी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने हिंदुओं पर फिर से जज़िया कर लगाया। यह कर अमीरों पर 48 दिरहम, मध्यम वर्ग पर 24 और गरीबों पर 12 दिरहम की दर से लिया जाता था। हिंदू इसे अपनी हीनता का प्रतीक मानते थे और इसे अपमानजनक समझते थे। 1564 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर ने हिंदुओं पर लगाए गए इस जज़िया कर को समाप्त कर दिया था।
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