सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) को मध्ययुगीन यूरोपीय कीमियागरों ने "ऑयल ऑफ विट्रिऑल" कहा क्योंकि इसे "ग्रीन विट्रिऑल" को लोहे की भट्टी में गरम करके तैयार किया जाता था। इसका केंद्रित रूप चिपचिपा और तैलीय होता है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया।
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