उत्तर वैदिक काल में आर्य संस्कृति के विस्तार का मुख्य कारण 1000 ईसा पूर्व के आसपास लोहे का परिचय था। ऋग्वैदिक लोग आयस नामक धातु को जानते थे, जो तांबा या कांसा था। उत्तर वैदिक साहित्य में आयस को श्याम या कृष्ण के साथ जोड़ा गया, जिसका अर्थ काला होता है, और यह लोहे का प्रतीक था। पुरातत्व से पता चला है कि 1000 ईसा पूर्व के आसपास लोहा इस्तेमाल होने लगा था, जो उत्तर वैदिक साहित्य का भी समय है।
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