ऋग्वेद में गाय से संबंधित कई संदर्भ मिलते हैं और कई घटनाएं व नाम गाय से जुड़े शब्दों से बनाए गए हैं। ऋग्वैदिक लोग पशुपालक थे और गायों के बाड़ों पर नियंत्रण के लिए युद्ध होते थे। इन युद्धों को गविष्ठि या गायों की खोज कहा जाता था। ऋग्वैदिक आर्य कृषि से भी परिचित थे और बुवाई, कटाई और मड़ाई के संदर्भ मिलते हैं। लेकिन गाय से संबंधित संदर्भों की तुलना में कृषि के संदर्भ कम हैं। इसलिए माना जाता है कि ऋग्वैदिक आर्य अर्ध-घुमंतू पशुपालक थे जो अच्छे चरागाह की खोज में घूमते थे और कृषि को द्वितीयक जीवनयापन के रूप में अपनाते थे।
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