स्वामी विवेकानंद, जो एक प्रसिद्ध भारतीय सन्यासी और आध्यात्मिक नेता थे, ने यह कथन दिया था। उन्होंने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराने में अहम भूमिका निभाई और भारत में हिंदू धर्म के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह कथन देश के प्रति प्रेम और समर्पण को उपासना और सेवा के रूप में दर्शाता है। उनके विचारों में राष्ट्र निर्माण और देशभक्ति को विशेष महत्व दिया गया है।
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