हाजी इब्राहिम सरहिंदी
अकबर के दरबार में बहुभाषी विद्वानों की एक समिति थी। इसमें नकीब खान, मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूनी, मुल्ला शोरी और सुल्तान हाजी थानेसरी शामिल थे। उस समय महाभारत का फारसी में अनुवाद किया गया और इसे "रज़्मनामा" (युद्ध का महाकाव्य) नाम दिया गया। अथर्ववेद का अनुवाद हाजी इब्राहिम सरहिंदी ने किया था।
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