इल्तुतमिश ने तुर्कान-ए-चहलगानी का गठन किया, जो चालीस तुर्की अमीरों की एक परिषद थी। इसका उद्देश्य उन्हें सलाह देना और कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत को स्थिर करना था। इसके प्रमुख सदस्यों में बलबन भी शामिल थे, जो बाद में सुल्तान बने। इस परिषद ने इल्तुतमिश की सत्ता को सुदृढ़ किया और सैन्य निष्ठा सुनिश्चित की।
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