दीवान-ए-बंदगान गुलामों का प्रबंधन करता था और इसका नेतृत्व वकील-ए-दर करता था। फिरोज शाह तुगलक ने सैनिकों और युवाओं को बंदी बनाकर इसे विस्तार दिया और राजकीय सेवाओं के लिए "गुलाम विभाग" स्थापित किया। उन्होंने उनके बसने के लिए फिरोजाबाद बसाया और शिक्षा व व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की।
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