ग्रीन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है इसरो

इसरो “ग्रीन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी” विकसित कर रहा है। यह टेक्नोलॉजी भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन  गगनयान के लिए विकसित की जा रही है, जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया जाना है।

प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी क्या है?

प्रोपल्शन का मतलब होता है आगे बढ़ना या किसी वस्तु को आगे बढ़ाना। रॉकेट और हवाई जहाज में, न्यूटन के तीसरे नियम के द्वारा प्रणोदन उत्पन्न किया जाता है। इसके द्वारा राकेट या हवाई जहाज़ उड़ान भरता है।

इसरो की ग्रीन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी

  • इसरो ने 2018 में ग्रीन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी विकसित करने का कार्य शुरू किया था। इसरो ने 2018 में एक इको-फ्रेंडली सॉलिड प्रोपेलेंट ग्लाइसीडाइल एज़ाइड पॉलिमर जीएपी को ईंधन के रूप में और अमोनियम डी-नाइट्रामाइड को ऑक्सीडाइज़र के रूप में विकसित किया था।
  • इसरो केरोसिन, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, लिक्विड ऑक्सीजन, और ग्लिसरॉल-वाटर, और मेथनॉल-वाटर जैसे ग्रीन प्रोपल्शन पर कार्य कर रहा है।
  • इसरो ने लॉन्च व्हीकल के लिए लिक्विड ऑक्सीजन, लिक्विड हाइड्रोजन आधारित प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण शुरू कर दिया है।
  • इसरो ने पहले ही अपने मिशन में ग्रीन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजीज का उपयोग किया है।हालाँकि, तकनीकों का उपयोग केवल मिशन के एक हिस्से में ही किया जाता है। उदाहरण के लिए, लिक्विड ऑक्सीजन, प्रोपल्शन के लिक्विड हाइड्रोजन संयोजन का उपयोग जीएसएलवी एमके- III वाहन के क्रायोजेनिक उपरी चरणों में किया जाता है।
  • इसरो ने ISORENE विकसित किया है।ISORENE केरोसिन का रॉकेट ग्रेड संस्करण है। यह पारंपरिक हाइड्रेंजाइन रॉकेट ईंधन का एक विकल्प है।
  • इसरो ने अपने साउथ एशिया सैटेलाइट में इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का सफल प्रदर्शन किया जो मई 2017 में लॉन्च किया गया था।

साउथ एशिया सैटेलाइट

इसे जीसैट-9 भी कहा जाता है। इस उपग्रह को इसरो द्वारा सार्क क्षेत्र के लिए संचालित किया जाता है। यह उपग्रह श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मालदीव में कार्य करता है। ओस कार्यक्रम में पाकिस्तान शामिल नहीं है।

पाकिस्तान ने GSAT-9 को तकनीकी और मौद्रिक सहायता की पेशकश की। थी हालांकि, भारत ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह सहयोगी आधार पर उपग्रह विकसित करने के लिए तैयार नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *