1906 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता दादा भाई नौरोजी ने की थी। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने स्वराज को भारतीय जनता का लक्ष्य घोषित किया। स्वराज का अर्थ आत्म-शासन या स्व-शासन होता है, जो राज्यविहीन समाज की अवधारणा को दर्शाता है।
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