वर्धमान महावीर को 'जिन' के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है 'विजेता'। जिन वह होता है जिसने प्रेम और घृणा, सुख और दुख, आसक्ति और द्वेष पर विजय प्राप्त की हो और इस प्रकार अपने ज्ञान, दृष्टि, सत्य और क्षमता को बाधित करने वाले कर्मों से अपनी आत्मा को मुक्त कर लिया हो। इसी शब्द से जैन धर्म का उद्भव हुआ।
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