एक संगीत वाद्ययंत्र
रबाब एक मध्यकालीन अरबी तंतुवाद्य है, जिसमें एक से तीन तार होते हैं। यह पहला ज्ञात तंतुवाद्य था और मध्यकालीन व बाद की अरबी संगीत परंपरा में लोकप्रिय था। इसका उल्लेख पहली बार 10वीं शताब्दी में मिलता है। उस दौर में 'रबाब' शब्द का प्रयोग किसी भी तंतुवाद्य के लिए किया जाता था।
गुरु नानक, जिनकी शिक्षाओं से सिख धर्म की उत्पत्ति हुई, भजन रचते और गाते थे, जबकि उनके शिष्य और विश्वसनीय सहयोगी मरदाना रबाब बजाते थे, जो एक तार वाद्ययंत्र है।
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