20 दिसंबर 1978 को जनता पार्टी के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने की घोषणा की, जिसके अध्यक्ष पूर्व सांसद बी. पी. मंडल थे।
31 दिसंबर 1980 को मंडल आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति एन. एस. रेड्डी को सौंपी, जिसमें भारत के "सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों" को आगे बढ़ाने के सुझाव दिए गए।
7 अगस्त 1990 को प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह ने संसद में घोषणा की कि उनकी सरकार मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी। इसके बाद भारत के उत्तरी भाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
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