सेल्जूक साम्राज्य के पतन के बाद मध्य एशिया में दो नए साम्राज्य उभरे—ख्वारिज़्मी साम्राज्य और ग़ोरी साम्राज्य। दिल्ली सल्तनत ग़ोरी साम्राज्य की एक शाखा थी। जब ख्वारिज़्मी साम्राज्य ने ग़ोरियों को हराया, तब ऐसा लगने लगा कि उसका अगला लक्ष्य दिल्ली सल्तनत हो सकता है क्योंकि उसकी सीमा सिंधु नदी तक पहुँच चुकी थी। लेकिन इससे पहले कि वह भारत पर हमला करता, मंगोलों के शक्तिशाली नेता चंगेज़ खान ने ख्वारिज़्मी साम्राज्य को नष्ट कर दिया। भारत पर मंगोल खतरा वर्ष 1221 में सामने आया। ख्वारिज़्मी शासक की हार के बाद उसका उत्तराधिकारी जलालुद्दीन भारत में शरण लेना चाहता था। यदि उसे शरण दी जाती तो यह चंगेज़ खान को नाराज़ कर सकता था, जो उस समय सिंधु नदी के पास डेरा डाले हुए था। इसलिए इल्तुतमिश ने जलालुद्दीन को शरण देने से विनम्रता से इनकार कर दिया, ताकि चंगेज़ खान को शांत रखा जा सके। यह कहना कठिन है कि यदि चंगेज़ खान ने भारत पर आक्रमण किया होता तो क्या परिणाम होते।
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