पंजाब का विलय 1849 के मार्च महीने में हुआ था। उस समय लॉर्ड डलहौजी भारत के गवर्नर-जनरल थे। विलय के बाद पंजाब का प्रशासन तीन सदस्यों वाले एक बोर्ड को सौंपा गया, जिसे बाद में भंग कर दिया गया। ब्रिटिशों ने कई सुधार किए, जिससे 1857 के विद्रोह में सिखों ने उनका विरोध नहीं किया।
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