तेनाली रामकृष्ण ने पांडुरंग माहात्म्य लिखा था। यह तेलुगु साहित्य के पंच महाकाव्यों में से एक है। यह पुस्तक पंढरपुर में विष्णु के पांडुरंग रूप के एक पवित्र स्थल का वर्णन करती है। रामकृष्ण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के कृष्णदेवराय के दरबार में राजकवि थे। वे अष्टदिग्गज नामक विद्वानों के समूह के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे। उन्होंने स्कंद पुराण से पांडुरंग माहात्म्य की कथा ली और इसमें पांडुरंग के भक्तों की कई कहानियाँ जोड़ीं। वे अपनी उत्कृष्ट कथा शैली और अद्भुत हास्यबोध के लिए प्रसिद्ध थे। यह ग्रंथ कृष्णदेवराय के पोते को समर्पित है।
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