1917 में महात्मा गांधी की यात्रा से नील किसानों के खिलाफ चंपारण आंदोलन की शुरुआत हुई। गांधीजी को बिहार के चंपारण में राजकुमार शुक्ल ने बुलाया था। 1917 में बिहार के चंपारण जिले में गांधीजी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह हुआ। यह भारत में गांधीजी के नेतृत्व में किया गया पहला सत्याग्रह था। ब्रिटिश बागान मालिकों ने चंपारण के किसानों के साथ एक अनुबंध किया था, जिसमें उन्हें नील की खेती करना अनिवार्य था। नील के बाजार में गिरावट आने से कारखाने बंद होने लगे। किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर ब्रिटिश अधिकारियों ने किराया बढ़ा दिया, जिससे विद्रोह शुरू हुआ। महात्मा गांधी ने चंपारण के किसानों को इस ब्रिटिश उत्पीड़न से बचाया। इसके परिणामस्वरूप वे बिहार के लोगों के लिए देवता समान बन गए। इस आंदोलन में उनके साथ डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्रीकृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिन्हा, जनकधारी प्रसाद और ब्रजकिशोर प्रसाद भी प्रमुख रूप से शामिल थे।
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