जस्टिस पी एन भगवती
भारत में जनहित याचिकाओं का दौर 1979 में शुरू हुआ जब वकील कपिला हिंगोरानी ने बिहार जेल में बंद कैदियों की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। यह याचिका "हुसैनआरा खातून बनाम बिहार राज्य" के नाम से जानी जाती है। इस मामले के परिणामस्वरूप 40000 कैदियों को रिहा किया गया जिनके मुकदमे अदालत में लंबित थे। इस मामले की सुनवाई जस्टिस पी एन भगवती ने की, जिन्हें भारत में जनहित याचिका का जनक माना जाता है। हालांकि, बाद में "एस पी गुप्ता बनाम भारत संघ" मामले में सुप्रीम कोर्ट ने "जनहित याचिका" शब्द की परिभाषा स्पष्ट की।
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