गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को लंदन में हुआ था। इसे महात्मा गांधी और उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने हस्ताक्षरित किया था। यह समझौता दूसरे गोलमेज सम्मेलन से पहले हुआ था।
यह एक राजनीतिक समझौता था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त करने की शर्त रखी गई थी। गांधीजी ने आंदोलन समाप्त करने और दूसरे गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने पर सहमति जताई।
गांधीजी 26 जनवरी 1931 को यरवदा जेल से रिहा हुए ताकि इरविन से बातचीत कर सकें। दोनों के बीच 24 घंटे में आठ बैठकें हुईं।
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