सामवेद को 'सामन' (राग) कहा जाता है और यह इसके स्वर या गीत पर केंद्रित है। इतिहासकारों का मानना है कि इसके कुल 1875 मंत्रों में से 75 मूल हैं, जबकि बाकी ऋग्वेद की विभिन्न शाखाओं से लिए गए हैं। इसमें मंत्र, विशेष मंत्र और 16000 स्वर (संगीतीय नोट) शामिल हैं। साहित्यिक स्वरूप के कारण इसे 'मंत्रों की पुस्तक' भी कहा जाता है। यह हमें वैदिक काल में भारतीय संगीत के विकास की झलक भी दिखाता है।
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