जिकिर असम का एक धार्मिक लोकगीत है। माना जाता है कि इन गीतों की रचना संत अजान पीर ने की थी। कुछ लोगों का मानना है कि वे अजमेर के निवासी थे, जबकि कुछ उन्हें अरब का बताते हैं। उन्होंने 17वीं शताब्दी में इन कविताओं की रचना की। अहोम राजा गदाधर सिंह के शासनकाल में उनके अधिकारी रुपाई दा-धोरा ने अजान पीर की आंखें निकाल ली थीं। बाद में राजा को संत की महानता का एहसास हुआ और उन्होंने उन्हें दीखोमुख के पास जोरागुरी सापोरी में भूमि प्रदान की। वहीं पर इस जिकिर की रचना हुई। यह सूफी और वैष्णव परंपराओं का मधुर संगम है और इसमें लोक संस्कृति का गहरा प्रभाव भी दिखाई देता है।
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