कूदीयाट्टम (कुडीयाट्टम) भारत का सबसे प्राचीन रंगमंच है और केरल में 10वीं शताब्दी ईस्वी से जीवित परंपरा के रूप में बना हुआ है। यह नाट्यशास्त्र के नियमों का सख्ती से पालन करता है और केरल की चाक्यार तथा नाम्बियार जातियों की पारंपरिक विधा है। इस नाटक का प्रदर्शन संस्कृत, प्राकृत और मलयालम में किया जाता है, जिसमें मृदंगम जैसे मिज़ावु और एडक्का वाद्ययंत्रों से संगीत दिया जाता है। सभी पात्र प्रस्तुति की शुरुआत अतीत की घटनाओं के स्मरण से करते हैं। इसके बाद कथा सामाजिक टिप्पणी, दर्शन और राजनीतिक नैतिकता के साथ आगे बढ़ती है। मार्गी मधु चाक्यार इस विधा के प्रमुख कलाकार हैं।
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