23 मार्च 1351 को दिल्ली की गद्दी संभालने वाले फिरोज शाह तुगलक ने इस्लामी कानून के आधार पर चार कर लागू किए: खराज (भूमि कर), खम्स (युद्ध में लूट का पांचवां हिस्सा), जजिया (गैर-मुसलमानों पर कर) और जकात (संपत्ति पर 2%)। खराज, यानी भूमि कर, पहला सिंचाई कर लगाने की पूर्ववर्ती व्यवस्था थी, जो भूमि उत्पादन का दसवां हिस्सा था। यह पहला सिंचाई कर सल्तनत की आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव था और भारतीय कृषि पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
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