Q. ‘अघोरी’ एक तांत्रिक संप्रदाय था, इसके बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है? Answer:
सभी सही हैं।
Notes:
अघोरी एक तांत्रिक संप्रदाय था जो अब विलुप्त हो चुका है। कहा जाता है कि इसके दो प्रमुख शाखाएँ थीं – शुद्ध (सुद्ध) और मलिन (मलिन)। अघोरी, कपालिक संप्रदाय के उत्तराधिकारी थे।
वे शीतला, पार्नागिरि देवी (जो संन्यासियों की आराध्य देवी थीं) और काली जैसी देवी शक्तियों की पूजा करते थे।
इस संप्रदाय में किसी भी प्रकार का धार्मिक या जातिगत भेदभाव नहीं था और मूर्ति पूजा की अनुमति नहीं थी। सभी अनुयायियों के लिए ब्रह्मचर्य अनिवार्य था। वे नरभक्षण, पशु बलि और अन्य कठोर अनुष्ठानों का पालन करते थे।
वे सभी प्रकार की अपवित्र वस्तुएँ खाते थे, जिनमें मल भी शामिल था लेकिन घोड़े का मांस कभी नहीं खाते थे।
प्रत्येक गुरु के साथ एक कुत्ता होता था, जैसे शिव के भैरव स्वरूप के साथ होता है। अघोरी योगियों का दाह संस्कार नहीं किया जाता था बल्कि उन्हें भूमि में दफनाया जाता था।