सैर-ए-गुल-फरोशन दिल्ली की राजधानी में मनाया जाता है। इसे "फूल वालों की सैर" के नाम से भी जाना जाता है और यह दिल्ली में मनाया जाने वाला तीसरा वार्षिक फूल उत्सव है। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण ख्वाजा बख्तियार काकी की मजार से योगमाया मंदिर तक फूलों से सजे पंखे की भव्य शोभायात्रा है। इसे पहली बार 19वीं सदी में मुगल सम्राट अकबर द्वितीय ने मान्यता दी थी। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन 1962 में जवाहरलाल नेहरू ने इसे फिर से शुरू किया।
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