भारत में हरित क्रांति की शुरुआत तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) के दौरान हुई थी। इसमें उच्च उत्पादकता वाली फसलों को अपनाने और आधुनिक कृषि तकनीकों के उपयोग पर जोर दिया गया। 1963 में अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक डॉ. नॉर्मन बोरलॉग द्वारा भारत में उच्च उत्पादकता वाला गेहूं पहली बार पेश किया गया था। इस योजना में कृषि क्षेत्र और गेहूं उत्पादन को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया।
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