अगस्त प्रस्ताव के बाद कांग्रेस फिर से असमंजस में थी। कट्टरपंथी और वामपंथी नेता जन आंदोलन शुरू करना चाहते थे, लेकिन गांधीजी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह पर जोर दिया। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं बल्कि अभिव्यक्ति के अधिकार की पुष्टि करना था।
पहले सत्याग्रही आचार्य विनोबा भावे थे, जिन्हें युद्ध के खिलाफ बोलने पर जेल भेजा गया। दूसरे सत्याग्रही जवाहरलाल नेहरू थे। तीसरे ब्रह्मदत्त थे, जो गांधीजी के आश्रम के सदस्य थे।
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