गुलज़ार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और कवि-गीतकार गुलज़ार को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। दृष्टिहीन होने के बावजूद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने 'रामचरितमानस' और 'गीता' जैसे ग्रंथों को कंठस्थ कर संस्कृत और हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गुलज़ार एक प्रसिद्ध कवि और गीतकार हैं। वे ऑस्कर और ग्रैमी पुरस्कार जीत चुके हैं और साहित्य, सिनेमा और टेलीविजन के क्षेत्र में अपने कार्यों के लिए जाने जाते हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट ने 1961 में स्थापित किया था। यह पुरस्कार संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं और अंग्रेज़ी में लेखन करने वाले साहित्यकारों को दिया जाता है। इसमें 21 लाख रुपये की राशि, देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र शामिल होता है। पहला पुरस्कार 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को 'ओदक्कुज़ल' काव्य संग्रह के लिए दिया गया था।
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