कैबिनेट मिशन का मानना था कि अलग राज्य बनने पर उसमें बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिम होंगे और भारत में भी बड़ी मुस्लिम आबादी रह जाएगी।
पाकिस्तान की मांग खारिज करने के मुख्य कारणों में से एक गैर-मुसलमानों, विशेष रूप से सिखों के साथ न्याय से जुड़ा था। मिशन का मानना था कि प्रस्तावित पाकिस्तान के बड़े हिस्से, जिनमें पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, NWFP और बंगाल शामिल थे, में बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिम होंगे। छोटे पाकिस्तान पर भी विचार हुआ, लेकिन इसे भी ठुकरा दिया गया क्योंकि इससे सिख दो हिस्सों में बंट जाते और उनकी आबादी सीमाओं के आसपास बिखर जाती। फिर भी मिशन सिखों को संतुष्ट नहीं कर सका, क्योंकि उन्हें लगा कि भारत के प्रमुख समुदाय के रूप में उनकी पहचान को नाममात्र की मान्यता तो मिली, लेकिन अंततः उन्हें मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के अधीन छोड़ दिया जाएगा।
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