1784 का पिट्स इंडिया एक्ट एक नियामक अधिनियम था। इसका उद्देश्य 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करना था ताकि भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में लाया जा सके। इस अधिनियम के तहत नियंत्रण बोर्ड की नियुक्ति का प्रावधान किया गया और ब्रिटिश भारत में कंपनी तथा क्राउन के संयुक्त शासन की व्यवस्था की गई, जिसमें अंतिम अधिकार सरकार के पास था।
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