कृष्ण कुमार मित्रा ने 1883 में बंगाली भाषा में संजीवनी पत्रिका शुरू की। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया और इसी दौरान अपनी पत्रिका संजीवनी के माध्यम से सबसे पहले विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया।
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