1927-1928 तक सोवियत रूस के शहरों में अनाज आपूर्ति की गंभीर समस्या थी। सरकार ने अनाज की निश्चित कीमत तय की थी, लेकिन किसान इस कीमत पर इसे सरकारी खरीदारों को बेचने को तैयार नहीं थे। स्टालिन ने कड़े आपातकालीन कदम उठाए। उनका मानना था कि ग्रामीण इलाकों में समृद्ध किसान और व्यापारी अधिक कीमत की उम्मीद में अनाज जमा कर रहे थे। इस सट्टेबाजी को रोकना और आपूर्ति जब्त करना जरूरी था। 1928 में पार्टी के सदस्य अनाज उत्पादक क्षेत्रों में गए, जबरन अनाज संग्रह की निगरानी की और 'कुलाक' यानी समृद्ध किसानों पर छापे मारे। इसलिए कथन 1 सही है। जब कमी बनी रही, तो खेतों के सामूहीकरण का निर्णय लिया गया। 1917 के बाद भूमि किसानों को सौंप दी गई थी, लेकिन छोटे किसान खेतों का आधुनिकीकरण संभव नहीं था। आधुनिक खेती के लिए औद्योगिक तरीकों से मशीनरी के साथ बड़े राज्य-नियंत्रित खेतों की जरूरत थी। इसके परिणामस्वरूप सामूहीकरण कार्यक्रम शुरू हुआ। 1929 से पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों (कोलखोज) में खेती करने के लिए बाध्य किया। अधिकांश भूमि और उपकरण सामूहिक खेतों के स्वामित्व में स्थानांतरित कर दिए गए। किसान भूमि पर काम करते थे और कोलखोज का लाभ साझा किया जाता था। इसलिए कथन 2 भी सही है।
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