सविनय अवज्ञा आंदोलन को अप्रैल 1934 में पूरी तरह वापस ले लिया गया था। यह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य अहिंसक तरीकों और ब्रिटिश सरकार के साथ असहयोग के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इस आंदोलन का देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल पर गहरा प्रभाव पड़ा। मई 1933 में इसे निलंबित कर दिया गया और अंततः अप्रैल 1934 में समाप्त कर दिया गया। इसका समापन गांधी-इरविन समझौते के कारण हुआ, जिसे महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 5 मार्च 1931 को हस्ताक्षरित किया था।
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