एफ ई फ्रिट्श ने 1935 में अपनी पुस्तक "स्ट्रक्चर एंड रिप्रोडक्शन ऑफ एल्गी" में शैवाल को 11 वर्गों में विभाजित किया। यह विभाजन मुख्य रूप से रंगद्रव्य, संचित भोजन, फ्लैजेला, थैलस संरचना, प्रजनन विधि और जीवन चक्र पर आधारित था। इसलिए उन्हें शैवाल विज्ञान का जनक कहा जाता है।
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